कुमावत समाज की अनमोल विरासत शिल्पकला एवं स्थापत्य कला तथा कुमावत समाज के क्षत्रिय इतिहास पर एक नजर I
राजस्थान में शेखावाटी की हवेलियाँ
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राजस्थान में
शेखावाटी की एक अनूठी पहचान है। वहां की हवेलियो व महलो की स्थापत्य कला, निर्माण शैली व
चित्रकारी, अपनी विचित्र चित्रकारी के आवरण से परिपूर्ण यहा की हवेलियो
महलो व अन्य ऐतिहासिक धरोहरो के कारण प्रसिद्ध शेखावाटी को राजस्थान की
ओपन आर्ट गैलरी भी कहा जाता है। राव शेखा का क्षेत्र होने तथा आजादी से पहले
शेखावतो का राज होने के कारण यह क्षेत्र शेखावाटी कहलाया परंतु इस
क्षेत्र को असली पहचान अगर किसीने दी है तो यहा के सेठ साहूकारो के द्वारा
बनवाई गई हवेलियो ने दी है जिनका निर्माण कुमावत जाति के कारीगरो व
शिल्पीयो आदि ने किया है। कुमावत शिल्पीयो ने जब इन कलाकृतियों में अपनी
कला के जादू को उकेरा तो ये सभी कलाकृतियाँ मुंह बोलने लगी I कुमावत
चित्रकार प्राकृतिक रंगो का निर्माण भी खुद ही करते थे जैसे काजल (लैंप
काला) काले रंग
के लिए, सफेदा,( चूना) सफेद रंग के लिए,गेरू (लाल पत्थर) लाल रंग के लिए,
नील (ईडिगो) नीले रंग के लिए, केसर नारंगी रंग के लिए,पैंवरी , (पीली
मिट्टी) पीले रंग के लिए और फूल अन्य रंगो के मिश्रण के लिएI कुमावत
चित्रकारों ने इन्ही रंगो के द्वारा अपनी युगायुगीन शिल्प साधना के सृजन से
इन हवेलियो
को मूरत रूप दिया है। जिसके कारण यह अपने आप मै अदभुत और बेमिसाल हुई है।
दुसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि सेठ साहूकारो के संरक्षण में
कुमावत जाति के कारीगरो
ने इनको बनाने मै अपने कला कोशल का प्रयोग कर इनको विशिष्टता प्रदान की है
तो कुमावत चित्रकारों ने अपने सधे हाथो व अपनी युगायुगीन शिल्प साधना यहा
की दीवारो और छतों पर उतार कर चित्रकारी की ऐसा रंग भर दिया और अपने
हुनर से इनमे वो चमक भर दी जिसके कारण सदियो बाद भी यहा जीवट और ताजगी लिए
हुई है। आज शेखावाटी को अपनी कला कोसल के लिए पूरे विश्व मै स्थान दिलाया
हुआ है।
जयपुर में कुमावत समाज की महापंचायत में सम्मिलित होने का सुअवसर मिला। भारत तथा राजस्थान की वैभवशाली कला व संस्कृति को सहेजने तथा और समृद्ध बनाने में समाजबंधुओं का अतुलनीय योगदान है। उनकी सृजनात्मकता का ही परिणाम है कि देश-विदेश से पर्यटक यहां का शिल्प और मूर्ति कला देखने आते हैं। बदलते समय के साथ समाज अब अपनी गौरवशाली विरासत को संरक्षित करते हुए आधुनिक तकनीक का भी समावेश करे। सामाजिक-राजनैतिक रूप से आगे बढ़ने के लिए कुमावत समाज ग्रामीण क्षेत्रों तक भावी पीढ़ी विशेषतः बेटियों में शिक्षा और संस्कारों को बढ़ावा दे। इस तरह के आयोजनों में बुनियादी विषयों पर चर्चा के साथ समाज के अंतिम व्यक्ति के कल्याण के लिए सामुहिकता से कार्ययोजना बनाई जाए। सार्थक और सकारात्मक सामूहिक निर्णयों से समाज आगे बढ़ेंगे तो निश्चित तौर पर देश भी नई ऊंचाइयों को छुएगा।
एक नजर समाज के गौरवमय इतिहास गाथा की एक झलक बड़े भाई पत्रकार आदरणीय #श्री_जितेंद्र_सिंह_शेखावत_जी की कलम से..... कुमावत शिल्पियों को प्रदत्त शिल्पकला ईश्वर का अनूठा वरदान है । सालों पहले बनाए गए गढ़,किले,मंदिर और महलों में बाल जितना भी इन्होनें दोष नहीं छोड़ा । ख़ून पसीना सींच मेहनत और ईमानदारी से काम करने में माहिर कुमावतों का कला और शिल्प आज भी मुंह बोलता है । जयपुर, आगरा, ग्वालियर,पुणे और देश में बनी इमारतों में कुमावत शिल्पियों की आत्मा बसती है। यही कारण है कि इनकी बनाई कृतियों को निहारने के लिए आज संपूर्ण संसार का पर्यटक भारत आता है । इनकी उत्कृष्ट कलाकृतियों को देख लोग, दांतों तले अंगुली दबाते हैं और कहते हैं वाह-वाह, इन कृतियों को रचनाकार को... ताजमहल,संसद भवन, राष्ट्रपति भवन के अलावा मारवाड़, ढूंढ़ाड़,मेवाड़,वागड़ और शेखावटी ही नहीं, पूरे देश में, कुमावतों की कारीगरी का डंका बजता है । मेवाड़ में मंडन, नामा, पूंजा की देख-रेख में बने अद्वितीय किलों और मंदिरों की कलाकृतियां, कुमावतों शिल्पियों के हथौड़े,करणी, छैनी और उनकी मेहनत की स्वर...
हवेली स्थापत्य राजस्थान की पहचान स्थापत्य कला से है एवं राजस्थान का स्थापत्य कुमावत समाज की देन है ।राजस्थान में बड़े-बड़े सेठ साहूकारों तथा धनी व्यक्तियों ने अपने निवास के लिये विशाल हवेलियों का निर्माण करवाया। ये हवेलियाँ कई मंजिला होती थी। शेखावाटी, ढूँढाड़, मारवाड़ तथा मेवाड़ क्षेत्रों की हवेलियाँ स्थापत्य की दृष्टि से भिन्नता लिए हुये हैं। शेखावाटी क्षेत्र की हवेलियाँ अधिक भव्य एवं कलात्मक है। जयपुर, जैसलमेर, बीकानेर, तथा शेखावाटी के रामगढ़, नवलगढ़, फतहपुर, मुकु ंदगढ़, मण्डावा, पिलानी, सरदार शहर, रतनगढ़ आदि कस्बों में खड़ी विशाल हवेलियाँ आज भी अपने स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करती हैं। राजस्थान की हवेलियाँ अपने छज्जों, बरामदों और झरोखें पर बारीक नक्काशी के लिए प्रसिद्ध हैं। जैसलमेर की हवेलियाँ राजपूताना के आकर्षण का केन्द्र रही है। यहाँ की पटवों की हवेली अपनी शिल्पकला, विशालता एवं अद्भुत नक्काशी के कारण प्रसिद्ध है। यह पाँच मंजिला हवेली शहर के मध्य स्थित है। इस हवेली के जाली-झरोखें बरबस ही पर्यटक को आकर्षित करते हैं। पटवों की हवेली के अतिरिक...
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