मंगलवार, 15 दिसंबर 2015

आमेर का किला जयपुर


 कुमावत शिल्पीयो ने आमेर किले के रूप मै इन विश्वकर्मा के पुत्रो ने जेसे स्वर्ग को धरती पर उतार दिया हो। आमेर के महाराजा मान सिंह जो अकबर के सेनापति थै, उनके द्वारा 1592 मै बीस वर्षो मै बनकर तैयार हुआ था। राजपूत शैली मै बने इस किले मै कुछ कुछ मुगल शैली का प्रभाव भी दिखाई देता है। विश्व के  सर्वश्रेष्ठ किलो मै शुमार यह किला कुमावत जाति की  परंपरागत अदभुत स्थापत्य निर्माण शैली का नमूना है। उस्ता गोरा केकटिया जो उस्ता अनंत राम जी कै दादा जी थे उस्ता बालू मारवाल,व सूंड़ा छापोला की देखरेख मै लगभग दो हजार कुमावत कारीगरो ने इसे बीस साल मै पुर्ण किया था। 
घघुमावदार सपाट रासते, सुंदर नक्काशी युक्त दरवाजे, इसकी सुंदरता के चार चांद लगा देते है। कुमावत शिल्पीयो ने अपनी स्थापत्य निर्माण शैली का बेजोड इस्तेमाल कर अपने सधे हाथो से हतोडे के द्वारा पत्थरो को तराश कर मेहराब दार झरोखे,तराशे हुऐ खंबे घुमावदार कंगूरे जालीदार झरोखे से युक्त इस किले की सुन्दरता देखते ही बनती है।इस किले के निर्माण के बाद उस्ता बालू मारवाल कुचामन चले गये, तथा सूंड़ा छापोला ग्वालियर चले गये तथा वहा पर मान मंदिर महल का निर्माण किया, इसी कारण ग्वालियर के महल व आमेर किले मै कुछ कुछ समानता दिखाई देती है। आमेर किले मै जिस तरह से हवा व पानी की सप्लाई की व्यवस्था की गई है। वह कुमावत जाति के कारीगरो की अदभुत स्थापत्य निर्माण शैली का ही कमाल है। आमेर किले को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है। आज से 500 वर्षो पुर्व भी कुमावत जाति की परंपरागत स्थापत्य निर्माण शैली कितनी उच्च कोटी की थी।


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