कुमावत समाज के अनमोल रत्न उस्ता आदरणीय सवः श्री घासी,लाल जी
तोंदवाल,मारोठ कला के पुरोधा,जिन्होंने काँच व सोने की कलमकारी की मारोठ
कला को निखारने मै महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस कला को देश के कई स्थानो
पर फैलाया है।आपके द्वारा बंगाल, बिहार, आसाम नागालैंड, के अनेक जैन मंदिरो
मै वहा की स्थानीय कला का समावेश कर काँच वह सोने की कलमकारी की बारीकियो
को आत्मसात कर मारोठ कला को नई उंचाई प्रदान की है। इसी तरह म,प, के
रामगढ,भोपाल,पेटलावद कुक्षी आदि स्थानो मै कोई जैन मंदिरो मै चित्रकारी का
काम किया है। जिसके कारण जैन समाज मै आपका बडा सम्मान रहा है।ये जो फोफोटो
यह भी आपकी ही बनाई हुई है। आपके कला के साथ ही स्वतंत्रता सेनानी भी रहे
है। महात्मा गांधी,वह सुभाष चंद्र बोस के प्रति आपकी निष्ठा रही है। इसीलिए
आपने अपने पुत्र का नाम सुभाष रखा था, जिन्होंने इस कला को विश्व स्तर पर
ख्याति दिलवाई है ऐसे महान कला विद परदे समाज को गर्व है।
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