गुरुवार, 10 दिसंबर 2015

राजस्थान में शेखावाटी की हवेलियाँ


राजस्थान में शेखावाटी की एक अनूठी पहचान है। वहां की हवेलियो व महलो की स्थापत्य कला, निर्माण शैली व चित्रकारी, अपनी विचित्र चित्रकारी के आवरण से परिपूर्ण यहा की हवेलियो महलो व अन्य ऐतिहासिक धरोहरो के कारण प्रसिद्ध शेखावाटी को राजस्थान की ओपन आर्ट गैलरी भी कहा जाता है। राव शेखा का क्षेत्र होने तथा आजादी से पहले शेखावतो का राज होने के कारण यह क्षेत्र शेखावाटी कहलाया परंतु इस क्षेत्र को असली पहचान अगर किसीने दी है तो यहा के सेठ साहूकारो के द्वारा बनवाई गई हवेलियो ने दी है जिनका निर्माण कुमावत जाति के कारीगरो व शिल्पीयो आदि ने किया है। कुमावत शिल्पीयो ने जब इन कलाकृतियों में अपनी कला के जादू को उकेरा तो ये सभी कलाकृतियाँ मुंह बोलने लगी I कुमावत चित्रकार प्राकृतिक रंगो का निर्माण भी खुद ही करते थे जैसे काजल (लैंप काला) काले रंग के लिए, सफेदा,( चूना) सफेद रंग के लिए,गेरू (लाल पत्थर) लाल रंग के लिए, नील (ईडिगो) नीले रंग के लिए, केसर नारंगी रंग के लिए,पैंवरी , (पीली मिट्टी) पीले रंग के लिए और फूल अन्य रंगो के मिश्रण के लिएI  कुमावत चित्रकारों ने इन्ही रंगो के द्वारा अपनी युगायुगीन शिल्प साधना के सृजन से इन हवेलियो को मूरत रूप दिया है। जिसके कारण यह अपने आप मै अदभुत और बेमिसाल हुई है। दुसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि सेठ साहूकारो के संरक्षण में कुमावत जाति के कारीगरो ने इनको बनाने मै अपने कला कोशल का प्रयोग कर इनको विशिष्टता प्रदान की है तो कुमावत चित्रकारों ने अपने सधे हाथो व अपनी युगायुगीन शिल्प साधना यहा की दीवारो और छतों पर उतार कर चित्रकारी की ऐसा रंग भर दिया और अपने हुनर से इनमे वो चमक भर दी जिसके कारण सदियो बाद भी यहा जीवट और ताजगी लिए हुई है। आज शेखावाटी को अपनी कला कोसल के लिए पूरे विश्व मै स्थान दिलाया हुआ है।


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