चितौडगढ किले मै स्थित विजय स्तंभ के बाद यदि कोई भव्य स्थान है तो वह
है कुंभा स्वामी मंदिर जिसे मीरा मंदिर के नाम से भी जाना जाताहै। इस
मंदिर का निर्माण महाराणा कुंभा ने 1444 मै अपनी झाली,रानी के लिए करवाया
था। इस मंदिर के मुख्य शिल्पी केलदा मेहरांडा था, जो प्रख्यात शिल्पी
दीपा,(देवा) का वंशज था इसके अतिरिक्त श्रीबगड,बामणिया,फता , ठाकरा ,
मान॔णनिया रामानुज, गुणजी, थे।शिल्पी केलदा मेहरांडा स्तम्भ निर्माण मै
बडा दक्ष था, बागड व फता मूर्ति कला का ज्ञाता थे,तथा हमीर को मुर्तियो के
चेहरे बनाने की महारत हासिल थी, इन सभी शिलपकारो ने इन मंदिरो को दो वर्ष
मै पुर्ण कर दिया था, ऐसी जानकारी है आज जो विजय स्तंभ के पास जो तराशे हुऐ
अवशेष दिखाई देते है। वहा इन शिल्पीयो द्वारा कोई भव्य मंदिर का निर्माण
किया जाना था, जो समयकाल के कारण पूरा नही हो सका, किंतु यह सब अवशेष
कुमावत जाति की परंपरागत अदभुत स्थापत्य निर्माण शैली के गवाह है
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