बुधवार, 15 जून 2016

कुमावत गौरव मंडन के प्रति ब्राह्मणों का षड्यंत्र

भारतीय स्थापत्य कला के शिल्पकारो में महान शिल्पी,वास्तु शास्त्र के महा पंडित मंडन खनारिया(सलावट) महाराणा कुंभा के राज शिल्पी थे,खेता सलावट का बडा पुत्र मंडन वास्तु शास्त्र व शिल्प शास्त्र के अलावा शास्त्र प्रणेता भी थे,भारतीय इतिहास में इसे लिखा भी गया है। किन्तु उन्हें सलावट(कुमावत) की जगह पंडित बना कर पेश किया गया है। जबकि चित्तोड के सलावट मोहल्ले में इनके वंशज आज भी निवास कर रहे हैं। जो खनारिया गोत्र के कुमावत है,शिल्पी खेता स्वयं वास्तु शास्त्र व शिल्प शास्त्र का बडा विद्वान रहा है। इनके दो पुत्र मंडन व नाथा हुए मंडन के दो पुत्र गोबिंद व ईश्वर व ईश्वर के पुत्र का नाम छीतर था,पर ख्याति मंडन को मिली, इतिहास मंडन को गुजरात से मैवाड बुलाना बता रहा है। जो पूर्णतः असत्य है, खुद मंडन ने अपने ग्रंथ रूपमंडन मै लिखा है। की वह मैवाड का निवासी हैं।***श्रीमद्देशे मेदपाटाभिगाने क्षैत्राख्यो$भूत सूत्रधारो वरिष्ठ,, पुत्रो ज्योष्ठो मंडनस्तस्य तेन प्रोक्त शास्त्र मंडन रूपपूर्वम,,  कुछ इसी तरह एक अन्य ग्रंथ में लिखा है। खेता का ज्येष्ठ पुत्र मंडन महाराणा कुंभा के शासनकाल में विख्यात हुआ  श्री मेदपाटे नृपकुम्भकर्णस्त दंडधिराजीवपरागसेवी ,स मंडन ख्यो भूवि सूत्रधार स्ते नोद्धतो भूपतिबल्लभो$यम,, कुंभा के शासनकाल में स्थापत्य कला अपने शिखर पर थी जिसका श्रेय मंडन का भी रहा है। मंडन स्थापत्य कला का अद्भुत शिल्पकार के साथ ही शास्त्रग्य का लडा विद्वान था,इसने पूर्व प्रचलित शिल्प शास्त्रीय मान्यताओं का गहन अध्ययन किया था, इसी के साथ मंडन ने नो ग्रंथो की रचना की थी जो १ देवातामूर्ति २प्रसादमंडन ३राजबल्लभ वास्तु शास्त्र ४ रूपमंडन, ५वास्तुमंडन ६ वास्तुशास्त्र, ७ वास्तुमंजरी ८ वास्तुसार ९आपतस्य है विद्वानों के अनुसार शिल्पशास्त्र,प्रसादमंडन वास्तु विज्ञान के ग्रंथ है। राजबल्लभ मंडन मंडन के नाम से है! जो वास्तु शास्त्र है,रूपमंडन देवमूर्ति,मूर्ति शास्त्र से सम्बन्धित है। पर मंडन के दो ग्रंथ बहुत प्रसिद्ध हुए जो राजबल्लभ शास्त्र व प्रसाादमंडन है वास्तु शास्त्र के विषयों में प्रसाद मंडन सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है। जिसमे चोदह प्रकार के प्रसाद (महोल)  के अतिरिक्त जलाशय, कूप,कीर्ति स्तंभ व पुर आदि के निर्माण व जीर्णोद्धार का विवेचन है।  इतना ही नही महाराणा कुंभा के शासनकाल में रक्षा के लिए तेनात किये जाने वाले आयुद्ध के निर्माण मै मंडन का योगदान रहा है, उससे ग्यात होता है। मंडन आयुद्ध शास्त्र का भा बडा विद्वान था,  परंतु सबसे महत्वपूर्ण यह है कि मंडन दुर्ग प्रसाद व जलाशयो के निर्माण का महान शिल्पी था, और कुंभा के शासनकाल में स्थापत्य शिल्प सृजन के जो भी कार्य हुए वह मंडन की देखरेख में किये गया चाहे कुम्भलगढ दुर्ग का निर्माण हो चित्तोड दुर्ग के निर्माण हो चाहे अन्य दुर्गो के निर्माण मंडन का भाई नाथा भी वास्तु शास्त्र व स्थापत्य शिल्प साधना का बडा विद्वान रहा है तथा मंडन का सहयोगी रहने के साथ ही उसने वास्तुमंजरी ग्रंथ की रचना की है,मंडन का पुत्र गोबिंद  स्थापत्य कला का अद्भुत शिल्पकार रहा है।  जिसने तीन ग्रंथ यथाकलानिधि,उद्धारधोरणि, व दीपिका लिखे, यह महाराणा राजवंशो समय मैवाड का राज शिल्पी था तथा वास्तु शास्त्र का बडा विद्वान रहा है,इसी तरह मंडन का दुसरा पुत्र ईश्वर का जानवर व आमेट दुर्ग के निर्माण में योगदान रहा है यह सर्वविदित रहा है  स्थापत्य शिल्प सृजन का कार्य कुमावत जाति जो उस समय सलावट,राज कुमार,कारीगर मिस्त्री,गजधर,चैजारा,राज सलावट, राजमिस्त्री, आदि नामो से जाने जाते रहे हैं। उन्हीं के द्वारा सृजित की जाति थी अन्य किसी जाति का इतिहास मै कही कोई उल्लेख नहीं मिलता पर मंडन जो वास्तु शास्त्र व शिल्प शास्त्र का प्रगाढ़ पंडित था, स्वर्ण जाति के इतिहास कारो ने इतिहास में उसकी जाति बदल कर पेश कर दी, कुमावत जाति के वास्तुकार मंडन के वास्तु शास्त्र व शिल्प शास्त्र के योगदान को इतिहास नही भूला सकता पर हम कुमावत क्षत्रिय समाज ने शायद भूला दिया

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

नमस्कार
कृपया यह बताईये महारूद्रालय सीद्धपुर के शिल्पकार कोन थे,