गुरुवार, 23 जून 2016

जगदीश मंदिर, उदयपुर




जगदीश मंदिर उदयपुर 
शिल्पी भाण व उसके पुत्र मुकुन्द 

उदयपुर स्थित जगदीश मंदिर मूलतः भगवान जगन्नाथ राय का मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण महाराणा जगत सिंह द्वारा 1652 ई. में करवाया गया था। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और शहर के सबसे प्राचीन बड़े मंदिर के रूप में माना जाता है। इंडो - आर्यन स्थापत्य शैली में निर्मित इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ राय (कृष्ण) के अतिरिक्त भ्राता बलराम और बहन सुभद्रा की प्रतिमाएँ स्थापित की गई है। 


यह मंदिर सुंदर नक़्क़ाशीदार खंभों, चित्रित दीवारों और छत के साथ एक तीन मंजिला संरचना है। पहली और दूसरी मंजिल पर 50 खम्भे हैं। मंदिर के शीर्ष की ऊंचाई 79 फुट है जिस पर हाथियों और सवारों के साथ संगीतकारों और नर्तकियों की प्रतिमाओं को देखा जा सकता है। यहाँ भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ की प्रतिमा मंदिर के द्वार पर स्थापित है।


महाराणा जगत सिंह के आदेश से इस मंदिर के ऊपरी भाग में (सभामंडप के प्रवेश द्वार पर) की दोनों ओर की ताको में जगदीश मंदिर की प्रशस्ति लगाई गई हैचिकने काले पत्थर पर श्लोकबद्ध उत्कीर्ण इस प्रशस्ति में मेवाड़ के शासक बापा रावल से लेकर महाराणा जगत सिंह तक की वंशावली दी गई है। इसके अलावा इसमें विभिन्न महाराणाओं की उपलब्धियाँ भी वर्णित है। इसमें हल्दीघाटी के युद्ध का भी वर्णन है। महाराणा जगतसिंह के काल के लिए यह प्रशस्ति विशेष उपयोगी है।  इसमें मंदिर के निर्माण तथा इसकी प्राण प्रतिष्ठा का विवरण के अलावा इस प्रशस्ति के रचनाकार कृष्णभट्ट तैलंग तथा मंदिर के शिल्पी भाण व उसके पुत्र मुकुन्द का नाम भी अंकित है।
















यह मंदिर राजस्थान स्थापत्य का उत्कृष्ट उदाहरण है। 

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